रोली सक्सेना
प्रेरणा स्कूल
महिलाएँ असुरक्षित क्यों हैं ?
घोर चिंता का विषय
दुष्कर्म बड़ता जा रहा
बात गैरों की नहीं
अपनों का डर सता रहा ।
लडकियाँ संसार की अनुपम भेंट है । वे अपार क्षमता सम्पन्न मनुष्य है जिसका आज पुरुष वस्तु के रूप में प्रयोग करते है उनका शारीरिक शोषण करते है हमारा देश भारत जिसने अपनी विशेषताओं से सम्पूर्ण विश्व में प्रसिध्दि हासिल की है । आज वही देश इस राह पर है जहाँ उनके अन्दर रहने वाली महिलाएँ असुक्षित हैं । क्या आपको लगता है ? कि इन घटनाओ के पीछे क़ानून व्यवस्था जिम्मेदार है या फिर महिलाओं द्वारा धारण किए हुए वस्त्र ऐसे अनेक सवाल है हमारे समाज में होने वाले इन दरिंदगी के ऊपर इन सवालों का उत्तर कोई नहीं बल्कि हमें हो इन्हें समाज में उजागर करना होगा आज महिलाएँ इतनी असुरक्षि हैं कि प्रतिदिन अख़बारो तथा समाचारों में इन घटनाओं के कई मामले हमारे सामने आते हैं यह केवल निम्नवर्ग या अशिक्षित लड़कियों के साथ नहीं होता बल्कि उच्च वर्ग तथा शिक्षित लड़कियां भी इसका शिकार हो रही हैं आज लड़कियां घर से लेकर बाहर तक सभी जगह असुरक्षित हैं । यह एक राष्ट्रीय समस्या के रूप में उभरी है ।
महिलायों के असुरक्षित होने के कई कारण है सबसे पहले तथा चिंता जनक समस्या है कानून व्यवस्था का कमज़ोर तथा लचर स्थिति में होना । यहाँ तक कि हमारे देश में इन घटनाओं से सम्बंधित कोई कानून भी नही बनाया गया है । जब तक कानून व्यवस्था में अमूल्य चुल परिवर्तन नही होता और इनसे सम्बंधित कोई कानून नही बनता तब तक इन समस्याओ से निजात पाना शायद मुश्किल है । परन्तु यदि सरकार इनका सहयोग नही करती तो लड़कियां खुद अपने सुरक्षा के लिए जागरुक हो जाए
इसके अतिरिक्त हमारे समाज में पुरुषों को प्रधान माना जाता और इसलिए वह स्त्रियों को हर स्तर पर प्रताड़ित करते है ।
शिक्षा के प्रसार के बावजूद आज आधी जनसंख्या निरक्षर है परन्तु शिक्षित पुरुष भी तो महिलाओं का शोषण करते है । उनके लिए क्या किया जा सकता है समाज में भ्रष्ट नेताओ का निवास करना भी इसे बढावा दे रहा है । महिलाओं में आत्मनिर्भरता की कमी है । रुढ़िवाद परम्पराये काफी हद तक इसका कारण है ।
माता पिता लड़कियों को संस्कार सिखाते है और संस्कार के नाम पर उनसे उनका आधिकार छिनते है परन्तु अपने बेटो को ऐसी आजादी देते है जो बाहर दुसरो की बेटी को कष्ट पहुचाते है । इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए सबसे पहले हम सब को एक साथ आगे बढना होगा और कानून व्यवस्था में कुछ सुधार होगा । तभी हम अपने समाज को मानसिक रूप से स्वस्थ्य बना पाएंगे और अपनी बेटियों की जिंदगियों को बचा पाएँगे । कुछ बेटियों को अधिकार नहीं मिलता फिर भी उनका विश्वास नहीं हिलता उम्मीद की किरण खिलती है । जैसे दिए में बाती जलती है ।