सृष्टि श्रीवास्तव
उप प्रधानाचार्या ,प्रेरणा स्कूल
ज्योत जलाओ नारी
नारी देवी है
नारी ममता की , सहिष्णुता की , प्रेम की, त्याग की मूर्ती है
नारी का यह गुणगान समाज द्वारा ही किया गया है और उसी की आड़ मे उसे प्रताड़ित भी किया
जाता है / अरे !नारी कोई देवी नहीं है , न ही पशु है, और न कोई वस्तु है / वह एक जीता जागता इंसान है
उसे इन्सान की तरह जीने तो दो /
मेरा पूछना है नारी देवी है तो पुरुष देवता क्यों नहीं बन सकता ?
नारी ममता की मूर्ति है तो पुरुष पितृत्व की मूर्ति क्यों नहीं हो सकता ?
नारी सहिष्णु है तो पुरुष क्यों नहीं ?
नारी त्याग कर सकती है तो पुरुष क्यों नहीं ?
ऐसा क्यों ?
हमारे समाज मे नारी (बालिका ) के जन्म पर ख़ुशी न मनाना , या कई क्षेत्रो में जन्म लेते ही उन्हें मार देना ,और तो और भ्रूण हत्या करना यह बताता है कि नारी जन्म से ही उपेक्षित जीवन जीने को विवश है / वह हमेशा पुरुष से कम आँकी जाती है और उसे समान स्थान नही मिलता है /
ऐसा क्यों ?
अन्य कारणों के साथ इसका मुख्य कारण है कि नारी असुरक्षित है / बाल्यावस्था से वृधावस्था
तक -वह असुरक्षित है /अशिक्षित , परम्पराओ से जकड़े हुए परिवारों के साथ- साथ पढ़े ;लिखे सम्पन्न परिवार भी काफी हद तक इसी कारण से पुत्री के जन्म पर सशंकित हो जाते है __ क्यों कि अपनी बेटी की सुरक्षा (विवाह से पूर्व व उपरांत भी ) पल पल उन्हें डराती है / कोई अपराध न होते हुए भी अपमानित हमेशा नारी ही होती है और उससे पूरे परिवार का सम्मान जुड़ जाता है / इस भावना ने समाज में अपनी जड़े इतनी मजबूती से जमा ली है कि हम सब युगों से उसी को सत्य मानते हुए जी रहे है /
शिक्षित और आधुनिक होने का दम भरने वाले समाज में तकनीकि तौर पर भी नई -नई मंजिलों को छूने वाले समाज में अपने को सभ्य और विकसित मानने वाले समाज में नारी शोषण , हिंसा बढती जा रही है , क्रूरता की हदे पार हो गई है /
ऐसा क्यों ?
नारी असुरक्षित क्यों ?
क्यों कि कोई सशक्त कानून नहीं
जो है उन पर अमल नहीं
कोई उचित दंड नहीं
कही कोई सुनवाई नहीं
ऐसा क्यों ?
क्यों की इस पुरुष प्रधान समाज मे ज्यादा तर
कानून बनाने वाले है पुरुष
कानून लागू करने वाले है पुरुष
अपराधी को दंड देने वाले है पुरुष
अपराधी को छोड़ने वाले भी है पुरुष
क्या यह सच नहीं कि इन्ही पुरुषो से ही तो नारी असुरक्षित है /
अब समय आ गया है
कि नारी असुरक्षित , शोषित , अपमानित क्यों है ? ये सोचने के स्थान पर हम यह विचार करे कि
पुरुष असहिष्णु क्रूर और व्यभिचारी क्यों है ?
क्यों कि यदि पुरुषो में सहिष्णुता ,मर्यादा विवेक और सदाचार होगा तो नारी की सुरक्षा , उसका सम्मान ,उसके अधिकार सब
अपनेआप उसके अपने हो जाएगे / घर की चार दिवारी हो या बाहर नारी शोषण समाप्त हो जाएगा /
यह हमारा सौभाग्य है कि यदि हम पीछे मुड़ कर देखे तो इतिहास गवाह है कि इसी पुरुष प्रधान समाज में अनेक महापुरुषों ने नारी कल्याण के लिए कई कठोर कदम उठाए और आज भी हमारे बीच ऐसे पुरुषो की कमी नहीं है तो मैं उन सबका आह्वाहन करती हू कि सच्चे मन से
उठो ! जागो ! और ज्योत जलाओ