Deepali Tripathi
Prerna Girls School
ऐ खुदा क्यों नहीं काँपती कलम तेरी
जब लिखता है तू, देतियुओं की जिंदगी में रात
अँधेरी क्या कसूर है इन बच्चियों का
जो इन्हे तू बना देता शिकार वेहशियों का
मैंने सुना है मंदिरों में रहता है तू
जब वो लूटते है तेरी बेटी की
आबरू तो क्यों नहीं इनम, उन्हें दिखता है तू।
दुनिया का सृजन करने वाली यह।
औरत इतनी लाचार और इतनी असुरक्षित कुओं है?
किसी सभा बैठक ,में यह प्रश्न पहला प्रश्न कुओं न बना।
जिस भारतवर्ष पर हम गर्व करते है क्या वहीं
यह भारत है आज समाज में जो कुछ हो रहा है
वह मानवता को तार-तार कर देने वाला है
क्या हम सिर उठा कर कह सकते है की हुम मनुष्य
है,अरे जब हम में और जानवरों में कोई अंतर ही
नहीं है, तो हम मनुष्य कहलाने के हकदार कैसे हुए।
आज समाज में लडकियाँ असुरक्षित कयों होती
जा रही है?एक तरह में उनका कारण
वे स्वयं ही है क्यूँकि इन सब अत्त्याचारों का विरोध
इन्होने पहले ही किया होता तो
आज यह सब देखने को न मिलता, इसलिए आज उन्हें मार पीट
बुरी नजर से देखना ,ताने,गाली -गलौज और बलात्कार ,उन्हें अगवा कर बेच देना आदि जैसे मुश्किलों को सहना पड़ता है।अगर वे इनका विरोध करती है तो उन्हें अपने दिमाग में पहले यह सोचना पड़ता है की वे जाए तो कहा जाए, विशवास करें तो किस पर, न्याय मांगे तो किससे,हक़ जताए तो किस पर!और किसी संकोच में रह जाती है बताए तो किसको,अगर वे बताए तो उनके अन्दर ये हिम्मत ही नही उठती।और वे इन दर के साए में जीती है।जिससे वो आत्महत्या कर लेती है।जिसके लिए तुम उस ग्लानि और अपराध के लिए दोषी ही नही हो। जब तक तुम आगे नहीं आओगी।
तब तक कुछ भी नहीं होगा, तोड़ दो उन रिति-रिवाजों को जो तुम्हे इंसाफ न दिल सके,जो तुम्हें समाज में केवल उपभोग की वास्तु माने।जिस देश की प्रशंसा पूरा विश्व करता है।वहाँ पर स्त्रियों का पुरषों के बराबर हक़ नहीं मिल पता,लड़कियों के पहनावे को नही पहले अपनी सोच को बदलिए।
जिन्दगी भर मर्दों की,गुलामी बजती औरत
मक्खियों की ता रह भिनभिनाते मर्दो से-
शारीर बचाती औरत
धोका देकर भागे गए यार को
हर सांस में दस- दस
गाली देती औरत भी
आखिर क्योँ चाहती है कि
उसकी कोख में पलता अंश भी
एक मर्द ही निकले?
Women u give birth to us u help in all the circumstances
but why the bad boys can’t understand this all so why the men and women can’t be equal.
Everywhere is unequality when this will stop and te world will be called a equal world