एकता मेहरोत्रा
प्रेरणा स्कूल
ईश्वर ने रचा ममता का रूप ,
जीवन जिसका संघर्षो का प्रतिरूप ।
जब आई स्रष्टि रचना की बारी ,
तब सृष्टि रचयिता ने रच दी नारी ।
करुणा ,ममता , मर्म ह्रदय की धनी ,
जिससे इस जग की नीव बनी ।
कहते है नारी को अबला ,
पर इसने इस जग को बदला ।
पल -पल चढ़ती बलिदानों की वेदी ,
बनकर माँ ,पत्नी ,बहन ,बेटी ।
व्यक्तित्व है आशाओ से परिपूर्ण
बनता है जिससे यह जग। सम्पूर्ण ।