मजबूर नहीं है नारी किसी के एहसानों की

साधना रावत
वीरांगना प्रेरणा स्कूल

ये खुदा क्या कहु क्या सुनू और क्या मैं दिल की बया करू गर बन आये तो भी इस्त्री इस जहा

में तो बन क्या बाख पायेगा तो भी हैवानियत से ।

सिसक -सिसक कर सब कुछ सहती

है फिर भी किसी से कुछ नहीं कहती है ।भाइया भाभी हो या साथी

जीवन में कौन भला नारी का मजबूर नहीं है ,शक्ति किसी की शक्ति की।

मजबूर नहीं है नारी किसी के एहसानों की ।

बस मजबूर है , नारी अपने नारीत्व की भावनाओ की ।

 

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