एक चीख

संदीप भाटिया
Teacher, Study Hall School

ये कैसा रूप है वहशीपन से भरा

दरन्दगी से भरा

दर्द से भरी, सहमी हुई एक चीख

जो हिला देती है रुला देती है

तुम्हारा होना ही गलत है ?

क्या नारी होना ही है  अभिशाप

हैवानियत का ऐसा रूप

डराता है

जिन्दगी जैसे कहीं छुप जाती है

बाहर न निकलना कुछ ना कहना – – –

बस एक चीख- – – – – – – – सहमी हुई – – – – दर्द से भरी

हर सन्नाटे में छुपी  – – – – – – –  एक चीख

दूर तक जाती है आवाज – – – – – –

पर कोई नही सुन रहा निशब्द

सन्नाटा  – – – – —  — – –

दरिंदो की दरिंदगी  – – – – – — – – –  वहशीपन
जहां से मिला प्यार  – – – — –

माँ की ममता को किया शर्मसार

उसी ममता , उसी नारी को किया दागदार  –  – – – –

दर्द से भरी , सहमी हुई  – – – – एक चीख

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