Ananya Nagar
Study Hall Alumni
Batch of 2007
अस्मत
वो फटे दुप्पटे से
वो फटे दुप्पटे से
अपनी छाती छिपाए
कभी पूरी कभी आधी छिपाए
इधर उधर भागे
भूखे कुत्ते से सब उसको ताके
कोई चेहरे पे मारे हाथ
कोई करता उसके स्तनों पे वार
बिखरे बाल
बिगड़ा हाल
चार टूटी चूड़िया
सिन्दूर की बेतरतीब लकीरें
हाथों से वो आँखों के आंसू पोंछे
भूखे भेड़िये उसे पल पल नोचे
हर आहट पे वो अब भी घबराये
जो भी आँचल पाए छिप जाए
फटे दुप्पटे से ही वो खुद को ढाके
फिर भी अब तक उसकी रूह काँपे
चेहरे पे नाखून
चेहरे पे नाखून
उससे बहता खून
उसकी कहानी बतलाये
कौन है वो
कौन है वो
क्यों वो लजाये