Gurpreet Kaur
Teacher, Prerna Girls School
उममीद जिंदगी की
खुशियों का हसीन पल हूँ मैं
चार दीवारों को बनाती हूँ
मैं ‘घर ‘
एक ‘बहन ‘
एक ‘माँ ‘
एक ‘बेटी’
एक ‘पत्नी ‘ हूँ मैं
जंगे आज़ादी की लड़ाई में लड़ी जो वो –
“झासी की रानी हूँ मैं ”
चाँद तक जिसने भरी उडान वो –
“कल्पना चावला हूँ मैं ”
पर …………………
आज तो मेरे पैदा होने पर भी लगाई जा रही है
“रोक ”
कहाँ है बाबा नानक जिन्होंने कहा था –
“सो क्यों मंदा आखिये जित जम्मे राजान ”
मुझे जन्म लेने का एक मौका तो दो
आपके सिर का ताज बनूँगी “मैं”
समझो ना मुझे कुल पर दाग
बेटो की तरह घर का रौशन चिराग बनूंगी “मैं”