The Study Hall School as part of the ongoing India’s Daughters Campaign 2017, organised an open discussion on ‘Child Marriage is a form of domestic violence’ on Thursday. Besides Study Hall School, students from Kasturba Gandhi Balika Vidlaya (Bakshi Ka Talab), Prerna Girls School and Vidyasthali also participated in the discussion.
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Towards reforming Government schools in UP: A meeting with DyCM Dinesh Sharma
Dr. Urvashi Sahni, President of Studyhall Educational Foundation, met Dy CM Dinesh Sharma and discussed the state of primary and secondary education in Uttar Pradesh. Dr. Sahni, who is also a member of the Rajasthan chief minister’s advisory council (education), appraised Sharma about how administrative reforms in Rajasthan had lead to the migration of 10 lakh students from private schools to government schools in Rajasthan.
Prof Sharma showed the keen interest in knowing how the change was brought about in Rajasthan. He said that the current Yogi government was determined to bring about positive changes in primary and secondary education and he would like to discuss this further.
To this, Dr. Sahni explained that integration of primary and secondary school, reducing teacher vacancies, rationalization of teacher appointments based on the need of the school, a collection of accurate school data through a technology portal, Shaala darpan, along with increasing teacher accountability were among the major factors for change.
As a follow up of the meeting, Dy CM Dinesh Sharma suggested that he would like to arrange a presentation before the chief minister Yogi Aditynath and table her suggestions to chalk out the roadmap for educational reform in UP.
She also presented a memorandum to stop child marriage in UP as part of the India’s Daughters Campaign being run by the Study Hall Educational Foundation.
India’s Daughters Campaign – Rally taken out against child marriage
India’s Daughters Campaign – Awareness March – Street Play – Bal Vivah Ghulami Hai – April 1, 2017 |
httpvh://www.youtube.com/watch?v=yoZZS6_eUMc |
India’s Daughters Campaign – Awareness March – April 1, 2017 – Mankamneshwar Mahant Divya Giri |
httpvh://www.youtube.com/watch?v=YgdY0JIZJkQ |
Veerangana Rally 2015
Led by the Veeranganas of Prerna Girls School, teachers and students of the Study Hall School, Vidyasthali Kanar High School, Study Hall Centre for Learning, Digital Study Hall and Gyansetu Non Formal Education Centres came together for an awareness campaign against street violence and to promote girls’ education.They were joined by teams from all the eight Kasturba Gandhi Vidyalayas of Lucknow district. They assembled in Study Hall School on Sunday, November 9th, 2015 and then they were divided into three groups, each more than 200 strong. Raising slogans, carrying banners and placards and singing songs with gusto, they marched in the lanes and by lanes of Ujariyaon, Digdiga and Gwari villages. People climbed on rooftops and thronged the open spaces to see the street plays that were repeated many times.The Veers, the boys from Prerna boys felt proud to carry the message along with the Veeranganas. More than 2000 persons signed the pledge to stop and resist street violence. The campaign touched almost 40,000 people with the message STOP AND RESIST STREET AND DOMESTIC VIOLENCE.
Community Mobilization Training Programme 2015
Study Hall foundation is running the “Aarohini Programme” in Kasturba Gandhi Vidyalayas of Uttar Pradesh for empowering adolescent girls from the marginalized communities .As a part of the program, teachers training sessions are being organized for using innovative methods for informing and educating the parents about their daughters’ rights.
One such training was recently organized by the Digital Study Hall at Rampur, July 2015 for the teachers of all the seven KGBVs of the district .The teachers were made to understand the need for mobilizing the community and the importance of getting the message across without hurting the dignity of anyone .They were inspired to plan creatively for their Parent – Teacher Meetings .They enjoyed preparing and presenting issue based plays .These plays will be part of the PTMs. Members of the School Management Committee were invited on the third day. They were all parents and most were not literate .Initially, they were diffident but after the ice breaker game, they were receptive and interactive. During the feedback, they all said that they had never felt so important and so worthy in their lives.
-Shalini Chandra,Head Pedagogy, Digital Study Hall
हम भारत की बेटियाँ वर्तमान परिवेश में हमारा आत्म सम्मान और सुरक्षा पर एक नजर
मुघराबाद शाहपुर
हम सभी लड़कियां आज- कल के परिवेश में बिलकुल असुरक्षित महसूस करती है हम सब लड़कियां जब भी किसी ऐसी जगह से गुजरते है जहाँ दो चार लड़के हो तो डरते है कि कही हमारे साथ भी “दिल्ली गैग रेप केस” जैसा कोई हदसा न हो जाये | हमारे लिए एक नया कानून बनना चाहिए जो खास लड़कियों के लिए हो |
जुर्म के लिए कोई शक्ति से भरी सजा हो तो और अगर आम जनता पहले ही ऐसे जुर्म के खिलाफ आवाज उठती हो शायद ऐसा जुर्म कभी नहीं होता ।
लड़कियां लड़को से किसी भी क्षेत्र में पीछे नही है । तो फिर क्यों लड़कियों के चलने, खाने, बात करने कपड़े और पढाई लिखाई पर सवाल उठाया जाता है क्या हमें इस दुनिया में गर्व के साथ रहने का अधिकार नही है तो फिर लड़कियों पर सवाल क्यों, लड़को पर नही । लड़कियों को अपने आत्म सम्मान की और अपनी सुरक्षा के लिए अपने बैग में मिर्ची का पाउडर या और कुछ ऐसा भी जो उनके काम आ सके | अगर वो किसी ऐसी जगह पर फस जाए तो इसका इस्तेमाल करे ।
जहाँ भी जाये अपने घर में बता कर उनकी सहमती से ही जाए और कभी किसी भी तरह के लालच में न आए ।
सुधार की आव्यशकता
दहेज़ प्रथा के कारण असम्मान
लालगंज -गिरिज्य
बेटियों को दहेज़ प्रथा के कारण सम्मान नहि मिलता हैं । दूसरा कारण लोगो की धारणा है की लडकियाँ कमजोर होती है ।
हमे कड़े से कड़े कानून बनाने चाहिए और कुप्रथा को समाप्त करना चाहिए ।
व्यवसायिक शिक्षा का कोर्स कराने चाहिए
गाँव में तथा जिलो में नौकरियाँ दी जाये
लोगों को जागरूक करना होगा और
लड़कियों के खाने पीने पर ध्यान देना चाहिए ।
मेरे भगवान बताओ
घोरवल -सोनभद्र
अगर कोई मेरे साथ छेड़खानी व अपमान जनक इशारा करता है या अशोभनीय शब्दों का प्रयोग करता है तो हम उसका विरोध करेगें । उस समय अगर मेरे पास कोई वस्तु जैसे बाल्टी, चप्पल, मिट्टी, ब्लेड उससे उसका मुकाबला करेगें । उसके कोमल अंगो पर प्रहार करेगें । आस पास जो लोग रहेगें उन्हें भी बताएगें । उसके बाद लोगो की मदद से पुलिस में रिपोर्ट करेगें और साथ में रहने वाले लोगो की सहायता लेंगे । यदि सुनसान जगह हो तो शोर मचाकर भागने का प्रयत्न करेगें और अपने माता पिता को बताएगें ।
छेड़खानी के विरुद्ध कठोर कानून बनाने की मांग करते है । लोगो को एहसास कराने का प्रयास करेगें की सब की माँ बहन भी है
लड़की का है मान जगत में ।
मेरे भगवान बताओ
क्या लड़की इन्सान नही ।
लड़का हो पैदा जब घर में
खुशियाँ खूब मनाते है ।
महिलाए वो हर मंगल गाती
गोले दागे जाते है ।
जब वही जन्म लड़की होते हैं ।
उसका होतो क्यों सम्मान नही ।
लड़की ही थी इंद्रा गाँधी
जिसने जग में नाम किया
लड़की ही थी झाँसी की रानी
रण में जाके संग्राम किया
आज उसी लड़की का होता क्यों सम्मान नही ।
मेरे भगवान बता दो क्या लड़की इंसान नही ।
शोषित
संगीता और रानी
कक्षा – 7
स्कूल- के.जी.बी.वी जौनपुर
चुकिं भारत एक कृषि प्रधान देश होने के साथ साथ एक पुरुष प्रधान देश भी है । अर्थात भारत में बेटी शब्द ही असुरक्षित अनचाही और असमाजिकता का प्रतीक माना जाता हैं ।
सबसे पहले तो यह जानना बहुत आवश्यक है कि बेटियाँ अनचाही क्यों है । अर्थात जो माँ स्वयं किसी की बेटी किसी की बहन और किसी की पत्नी है वह स्वयं अपनी ही बेटी को जन्म नहीं देना चाहती हैं । इस प्रकार इस दुनिया में आने से पहले ही बेटियाँ अनचाहे और सौतेलेपन का शिकार हो जाती हैं । परन्तु यदि गलती से बेटियों का जन्म भी हो जाता है तो वह इस शाषित समाज में असुरक्षा की भावना से ग्रसित रहती है ।
इसका जीता जागता उदारहण है दिल्ली गैगरेप शिकार हुई । उस दामिनी का जिसको समाज ने बेटी होने का दंड भोगना पड़ा । अतः इस पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों की मलीन मानसिकता और दुविचार तुक्ष भावनाएँ और शारीरिक बलिष्टता तथा बेरोजगारी और अशिक्षा के कारण ही समाज में बेटियाँ असुरक्षित है ।
आज के इस पढ़े लिखे सभ्य समाज की अशिक्षित तुक्ष भावनाएँ ही बेटियों के विकास में बंधक बनी हुई हैं । इस समाज का बहय आडम्बर हो आकर्षक और उत्कृष्ठ है परन्तु आंतरिक रूप से यह विचारहीन और खोकला है ।
सदियों से यह समाज बेटियों से दुर्व्यहवार और दुर्विचार का प्रतीक रहा है । जिससे नारी का रूप दुर्गा, काली, शक्तिशाली तथा समाजिक न होकर अबला शोषित शक्तिहीन और असमाजिक हो जाता है
आज के समाज में महिलाओं को सबला का नाम दिया गया है परन्तु यह भावना विलुप्त हो चुकि है कि नारी तुम केवल श्रध्दा हो विश्वास रजत नग पग तल में पीयूष स्त्रोत सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में ।
बेटी का जन्म हुआ तो मातम का दिन आया रे ।
घर संसार दुखी हुआ इससे, घोर अँधेरा छाया रे ।
पर ईश्वर की प्यारी बेटी
दुनिया की नही प्यारी रे
उसके बिना कोई बात नही बनती
पर दुनिया से हारी रे
बियाह हुआ ससुराल गई जब
तोड़ दे बंधन सारे
कुछ ही दिन के बाद खबर मिली
उसको दिया जलाया रे
बेटी का जन्म हुआ तो
मातम का दिन आया रे ।