सम्पूर्ण

एकता मेहरोत्रा

प्रेरणा स्कूल

ईश्वर ने रचा ममता का रूप ,
जीवन जिसका संघर्षो का प्रतिरूप ।
जब आई स्रष्टि रचना की बारी ,
तब सृष्टि रचयिता ने रच दी नारी ।
करुणा ,ममता , मर्म ह्रदय की धनी ,
जिससे इस जग की नीव बनी ।
कहते है नारी को अबला ,
पर इसने इस जग को बदला ।
पल -पल चढ़ती बलिदानों की वेदी ,
बनकर माँ ,पत्नी ,बहन ,बेटी ।
व्यक्तित्व है आशाओ से परिपूर्ण
बनता है जिससे यह जग। सम्पूर्ण ।

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लड़का लड़की एक समान दोनों को ही दो सम्मान

Anupma Mam
Teacher Vidyasthali

क्या कभी नहीं बदलेंगे
लोगों के ये बुरे विचार
क्या कभी नहीं बंद हो पाएंगे
लड़कियों पर होते अत्याचार
आओ आज हम सभी मिलकर
यह संकल्प उठायें
नारी के अधिकारों की
रक्षा करके अपना कर्तव्य निभाएं

लड़का लड़की एक सामान
दोनों को ही दो सम्मान

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बेटियाँ

Aarti Gupta
Virangana Activist Group

हम लडकियों और लड़को में अंतर क्यों करते है ?
ऐसा क्यों समझा जाता है की लड़के लडकियों से
ज्यादा काम करते है ?
क्या लडकियों को हक नहीं है की वे पैसा कमाकर या और किसी तरह से अपने
माँ- बाप का सहारा बनें ?
जन्म से ही सारे अधिकार लड़को को ही क्यों मिलते है ?लडकियों को नहीं ?
जब दोनों से मिलकर संसार चलता है तो महिला का स्थान पुरुष से इतना नीचा क्यों है?

सूरज सी हैं तेज बेटियाँ
चाँद की शीतल किरन बेटियाँ
झिलमिल तारों सी होती है !
घर की हैं सौगात बेटियाँ !

कोयल का संगीत बेटियाँ
पायल की झंकार बेटियाँ
सात सुरों की सरगम जैसी
वीणा का वरदान बेटियाँ
घर की है मुस्कान बेटियाँ
लक्ष्मी का हैं मान बेटियाँ
माँ -बापू और सारे घर की
सचमुच होती जान बेटियाँ
दुर्गा ,इंदिरा , लक्ष्मीबाई
जैसी बने महान बेटियाँ
कर्म क्षेत्र में बढने को हैं
आज सभी तैयार बेटियाँ ।

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जग की देन

Preeti Verma

Virangana, Activist Group

लड़का हुआ तो वाह! ! वाह! !धन्य हो गया यह जीवन ।

लड़की हुई तो हाय!! हाय!! बेकार हो गया मेरा जीवन |

जिसने दिया हमको खुशियों का खजाना ,उसे ही किया हमने बेगाना ।

लड़का है बुढापे का सहारा ,लड़की तो है धन पराया ।

जग की देन

जग की सबसे प्यारी देन ,

जग की सबसे न्यारी देन ,

वो हैं जग की बेटियां ,

नहीं हैं ये किसी से कम,

सबके दूर करती हैं ग़म ,

जब जब हुआ इनपर अत्याचार,

किया इन्होने उस पर प्रहार ,

मेरा है ये कहना ,

बेटियां हैं जग का गहना ,

न समझो इनको मामूली गुडिया ,

ये तो हैं हम सबकी दुनियां ,

जग की सबसे प्यारी देन ,

जग की सबसे न्यारी देन |

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नहीं सहेंगे अत्याचार

कल्पना तिवारी

महिलाएं असुरक्षित अनचाही असमान
एक बेटे के जन्म से माता पिता फूले नहीं समाते, जबकि वही एक लड़की के जन्म से माता- पिता व पूरा परिवार शोक में डूब जाता है उन्हें निराशा व जिम्मेदारी की अनुभूति होती है बेटे के जन्म से ही दहेज़ व उसकी सुरक्षा की चिंता सताने लगती है
एक बेटी अपने माता पिता के घर रह कर उनकी इज्जत व सम्मान की रक्षा करती है और ससुराल में जाकर दूसरे परिवार को जोड़कर रखती है एक दुनिया में आकर दूसरी दुनिया का निर्माण करती है वही एक बेटा दूसरी लड़की के साथ बलात्कार करके कितनी लड़कियों के साथ कितने लोगो की जिंदगी नरक बनाने का कारण बनता है फिर भी बेटियों का दर्जा लडको की अपेक्षा नीचा समझा जाता है जब की उस बेटी को जन्म देने वाली माँ भी एक लड़की होती है एक बेटी का हक है कि उसे बेटे के समान दर्ज़ा मिले उसे इज्जत भरी नजरो से देखा जाये
लडको को कोई हक नहीं कि वो लड़कियों को असहाय समझे अब वक़्त आ गया है कि लडको सबक सिखाया जाये उन्हें स्त्री शक्ति का एहसास कराया जाये हमारी बेटिया बेटों से कमज़ोर नहीं है उन्हें अपराध के खिलाफ आवाज़ उठाना आता है लड़कियों को समानता का हक उन्हें मिलना चाहिए अन्यथा वे आगामी समय में अपने हक के लिए आवाज़ उठाने में भी पीछे नहीं रहेंगी
नहीं सहेंगे अत्याचार
लड़को अब जाओ तैयार

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भेद – भाव को दिल से , जड़ तक मिटाओ

sunita singh

Veerangna Group

भेद- भाव मिटाना है तो दिल से जुट जाओ।
लड़की- लड़का बराबर है, कह- कह के न छुपाओ ।
गर्भ में बेटी है तो, उसको न मिटाओ ।
आने दो संसार में और हौसला बढाओ।
बेटे को इंजिनियर तो, बेटी को डॉक्टर बनाओ ।
दोनों में भेद करके नाक न कटाओ ।
बुढ़ापे की लाठी सोच कर, सर पर न बैठाओ ।
बन सकता है, एक अच्छा इन्सान राक्षस न बनाओ ।
माँ- बाप हो , कर्तव्य भी बताओ ।
भेद – भाव को दिल से , जड़ तक मिटाओ ।।

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इज्जत

पूनम मौर्या 
Virangana Activist Group
 इज्जत है सबकी शान
इस पर न आती कोई आन
पढ़-लिखकर हम बने महान
इससे बढ़े माँ- बाप की शान
                                                    बेटियों को न समझो फूटी तक़दीर
                                                    ये होती है तुम्हारी कल की तस्वीर
                                                     बाँधकर इज्जत की पगड़ी
                                                     न करो कोई अफत खड़ी
जो बाँधे इज्जत की डोर
उसको करते है सब कमजोर
बेटी-बेटे में न भेद करो
अपने दिल में न खेद करो
                                                     बेटी को तुम अवसर दो
                                                    बढने का तुम मौका दो
                                                     ये बढाये तुमारी शान
                                                      इनपे करो तुम अभिमान

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Women!

Anushree Chaturvedi
Class X-C , Study Hall School

They march uptown for to reclaim the night
Carrying lighted candles and small battery hand lights
Their peaceful protest for basic human right
And in solidarity you will find much might.

They march for women house bound after dark
Who after sundown shun the street and park
Who bolt their doors a shield against their fear
The fear of danger to them ever near.

They march for women for a crime free life
For the rape victim and the battered wife
And for women wronged by men in every way
Such cases as we read of every day.

The anti women libbers well might say
That women nowadays have things their own way
But women still victims of rape and foul play
Such stories in newspapers every day.

And till women after sundown leave their home
And without fear walk unlit street alone
Then women must march to reclaim the night
And protest for a basic human right.

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बंद करो यह अत्याचार

प्रिया दुबे
Virangana Activist Group

बंद करो यह अत्याचार

तब होगा खुशी संसार ,

देते हो जिस तरह बेटी को अच्छे संस्कार

वैसे ही करो अपने बेटो से अब कुछ विचार

बाप मार के पैर देता माँ को इंकार

वैसे ही करता है बीटा अपनी पत्नी अत्याचार

करो अपने बेटो पर एक एसान

उसे बनाओ एक अच्छा इन्सान

करे वह माँ बहन और बेटियों का सम्मान

मर्द होने का करे न खुद पर अभिमान

पति अगर है परमेश्वर तो पत्नि है देवी के समान

इस पर अत्याचार करके क्यों बनते हो शैतान

इन से बनता है जीवन का अधार

इन दोनों के बिन सूना है संसार
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बेबस और मासूम

 रेनू सोनी   (छात्रा )
प्रेरणा स्कूल

 

कैद था एक आजाद पंक्षी
उसके मन में भी उड़ने की आशा छनकी
नही कर सकती थी वह अपने मन की
फिर भी उड़ने की एक आस पनपी

 

वो भी देख रही थी एक नया सवेरा
दूर करता उसके जीवन का अँधेरा
लेकिन उस पिंजरे का था घेरा
पल भर लगा उसको ये ख़्वाब रहेगा अधूरा

 

उसे मिली एक दिन आजादी
पिंजरे को खुला देख वहां से भागी
नही उठानी पड़ेगी पिंजरे की परेशानी
मेरे हाथ में है मेरी जिंदगानी

 

खुले आसमान में उड़ गई
एक और मुसीबत गले पड़ गई

 

आया एक विशाल पंक्षी
ऐसा लगा उसे मिली है धमकी

 

नही मांग सकती किसी और पंक्षी से सहारा
किसी तरह उसने वे वक्त गुजारा

 

मौका देख वहाँ से निकली
शायद उसने अपनी सोच बदली

 

वापस चली गई उस पिंजरे के अन्दर
नही बन पाई अपने मन की सिकंदर

 

इसका अर्थ ये है की स्त्री आजाद होते हुए भी वो कैद है  क्योंकि समाज उस पर नजर रखता है, फिर भी उस स्त्री को लगता है कि एक दिन समाज और समाज के लोग सुधरेंगें और अपनी सोच बदलेंगें और लड़की और लड़को में कोई भेद नही रहेगा और वो कल का सवेरा देखती है की लड़कियां एक खुशहाल जिन्दगी जी सकती है लेकिन समाज का डर उसे रोकता है कि स्त्री का पद हमेशा पुरुषो से नीचे रहता आया है और नीचे ही रहेगा । लेकिन एक दिन ऐसा भी आता है कि वह कुछ बोल सकती है और आवाज भी उठाती है फिर उस स्त्री को एक रास्ता भी दिखाई देता है कि कानून उसकी सहायता करेगा, लेकिन कानून तो क्या उनकी कोई सहायता नही करता और बल्कि एक और मुसीबत आ जाती है और नारियों को धमकी मिलती है कि उसने ऐसा कुछ किया तो उसे मार दिया जायेगा, और वो किसी और स्त्री से सहायता नही ले सकती क्योंकि उसकी तरह सभी कैद हैं तब दुबारा वो वापस उसी जगह आ जाती है जहाँ वो पहले थी और हर स्त्री को लगता है की उसका अस्त्तित्व नही है

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