A common evil

Rajkumar Dubey
Teacher, Study Hall School

In India violence against women is a common evil. Not just in remote parts but even in cities women bear the brunt. They are subjected to physical and mental torture. They are the ones who work the most but are not given their due. Now protect the women and there should be a severe punishment for perpetrators of crime against women.

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सावधानी ही सुरक्षा

समस्त बचे 
के जी बी वी-(कुत्तैन)जौनपुर

नशे पर रोक लगाना चाहिए।
शाम को लडकियों को अकेले नहीं जाना चाहिए।
गाँव में दुष्कर्म ज्यादातर शौच जाते वख्त होता है तो शौचालय घर पे होना चाहिए।
अपरचित लोगों से बातचीत नहीं करना चाहिए।
लड़कियों को बात चीत करके आत्म निर्भर होना चाहिए।
ज्यादा से ज्यादा महिला सुरक्षाकर्मी की नियुक्ती हो।
नियमित रूप से माता पिता और शिक्षको को लड़कियों से बातचीत करनी चाहिए।
पुरषों को औरतों के लिए संवेदनशील होना चाहिए।

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नारी विहीन समाज

पूनम 
के जी बी वी- (रामपुर) जौनपुर
हमारे देश में समान अधिकार नहीं है। समाज नारी विहीन होता जा रहा है। औरत लड़कियों का जन्म नहीं चाहती है और वो भूल जाती है कि वो भी एक औरत है।
औरत बिना समाज निरर्थक हो जायेगा हमें अपनी सोच बदलनी होगी और जागरूक होने की जरूरत है। बुजुर्गों में रूढ़िवादिता को बदलना होगा और जागरूक होना पड़ेगा जैसे कि लड़का लड़की समान हो सके।सरकार लड़कियों की सिक्षा को प्रेरित कर रही है और निशुल्क सिक्षा दे रही है।
दिल्ली की घटना ने दिलों दिमाग को जगझोर दिया है। यह एक अमानवीय घटना है और यह कह पाना मुश्किल हो गया है कि समाज हैवानो का है की इन्सानों का, इन हैवानो को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए और फांसी इस समस्सया का समाधान नहीं है। हमारी कानून व्यवस्था लचर है और फैसला आने में काफी समय लग जाता है जिससे आरोपी को बचने का पूरा मौका मिलता है।सही सजा का मतलब तभी है जब वो जल्द से जल्द मिले और एक बार फाँसी नहीं उन्हें उम्रकैद देनी चाहिए जैसे की वो रोज मर सके।

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दूषित वातावरण

एकता नीलम
के.जी.बी.वी – वार्डन शाहगंज

भारत एक प्रजातंत्र देश है। इस देश में स्त्रियों और पुरषों को समान अधिकार प्राप्त है लेकिन नारी को स्वतंत्रता से जीनें का अधिकार नहीं है। हर कदम पर स्त्री को पुरुष का सानिध्य अनिवार्य है। आज का समाज जागरूक है बेटी और बेटे में कोई फर्क नहीं समझता है।फिर भी लोगो को बेटी से ज्यादा बेटो की ख्वाहिश रहती है इसके लिए लोग लिंग परिक्षण कराकर माँ की गर्भ में ही बेटी को ख़त्म कर देते हैं। इसके पीछे महिलाओं की अपेछा पुरुष अधिक दोषी हैं। यानी लोग नहीं चाहते है हमारे घर लड़कियां पैदा हो। यदि किसी के घर लड़की पैदा हो भी जाती है तो अपने आप को असुरक्षित महसूस करती है इसके पीछे हमारे समाज का दूषित वातावरण अधिक जिम्मेदार है। जरा सी असावधानी होने पर कितनी बड़ी अनहोनी हो सकती है। इसका अन्दाजा दिल्ली की घटना से लगाया जा सकता है और घटनाएँ आम है। अगर सरकार इन घटनाएँ रोकने में अक्षम है तो सारे नियम कानून समीक्षा होनी चाहिए और सरकार से अनुरोध है कि नियम कानून को सख्ती से पालन कराए। जहाँ इस प्रकार के दुष्कर्म समाज में पनप रहें है जैसे जगह जगह पोस्टर लगे होते है ठंडी बियर और देशी शराब की दूकान एस्से तत्काल बंद कर देनी चाहिए क्योंकि ऐसे पाशवि कृत्य कोई सामान्य स्तिथि में नहीकर सकती।

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भारत की बेटियां वह वर्तमान परिमेय में सत्य सम्मान और सुरक्षा पर एक रहे

शहनाज

कक्षा -7
स्कूल – पूर्व माध्यमिक विघालय
चक अहमद पुर नगर क्षेत्र रायबरेली

हम भारत की बेटियां वर्तमान परिमेय में सत्य सम्मान और सुरक्षा पर एक रहे ।
हम बेटियों को अपनीं रक्षा करनी चाहिए और माँ बाप भाई को भी अपनी बहन बेटियों की रक्षा करनी चाहिए ।
लड़कों को चाहिए की वो जैसे अपनी बहन को बहन और बेटी को बेटी मानते है वैसे ही उन्हें दूसरी लड़कियों को अपनी बहन बेटी समझना चाहिए ।
हम बेटियों को ही क्यों इतनी पाबन्दी मिलती है । लड़की को ही क्यों ये सब भुगतना पड़ता है क्योंकि वह इसलिए की वह एक लड़की है और वह कुछ नहीं कर सकती ।
हमेशा हम लड़कियों को ही क्यों कमजोर समझा जाता है क्योंकि सिर्फ वह एक लड़की है और कुछ नही ।
जब वह कोई लड़का किसी लड़की के साथ दुराचार करता है तब उसे ये क्यों नही याद आता की हमारी भी बहन है मेरी बेटी है आज हम इनके साथ करेंगें तो कल कोई हमारी बहन बेटियों के साथ ऐसा करेगा तो क्या होगा ।

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आत्म रक्षा के गुण

सायमा अज़ीज
                                                                                                                                                                 BTC Student Sultanpur

इस दिल्ली रेप कांड के बाद देश में जो आंदोलन छिड़ा , वो मेरे हिसाब से बहुत जरुरी था । आखिर कितनी लडकियाँ ऐसे बहशी दरिंदो को शिकार बनेंगी और कब तक ? अब हमारे देश को यौन उत्पीडन के मामले में ऐसे सख्त कानून की जरुरत है की फिर कोई लड़की ऐसी दरिंदगी का शिकार न बने । परन्तु सिर्फ कानून बनाने और सख्त सजा देने से इन दरिंदो पर लगाम नही लगेगी । इसके लिए लडकियों को भी आत्म रक्षा के गुण सीखने पड़ेंगे । इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते है ।

1) – लडकियों को अपने साथ हमेशा मिर्ची स्प्रे रखना चाहिए या अन्य कोई हथियार जैसे चाकू आदि रखना चाहिए ।
2) – यदि किसी सुनसान जगह पर किसी अकेली लड़की को ऐसा लगे की कोई उसका पीछा  कर रहा हो तो उसे घबराना नही चाहिए । उसे अपना मोबाइल निकालकर किसी से बात करना शुरू कर देना चाहिए और ऐसा दिखाना चाहिए को वो आगे जल्द ही किसी से मिलने वाली है ।
3) – यदि किसी लड़की को कोई गाड़ी में उठाकर ले जाता है तो उसे भीडभाड वाले इलाके में शोर मचाना शुरू कर देना चाहिए ।
4) – माँ को अपने बच्चो को good touch  और  Bad touch के बारे में बताना चाहिए ।
5) – लडकियों को शारीरिक रूप से मजबूत बनाना चाहिए । इसके लिए उन्हें कराटे क्लासेस या खेलकूद में भाग लेना चाहिए ।

 
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वर्तमान समाज में नारी – दशा

श्वेता सिंह 

BTC(सुलतानपुर)

वर्तमान समाज में नारी – दशा
वर्तमान समय में जो नारी की स्थिति है वह पहले से भी कहीं बत्तर होती जा रही है जीवन से जुड़े सभी क्षेत्रों में नारी पर अत्याचार एवं शोषण किया जा रहा है अतः अब आवश्यकता इस बात की है हम स्वयं जागरूक हो एवं अपने प्रति हो रहे दिन प्रतिदिन बढते अत्याचारों का विरोध तो करें ही साथ में हर कदम पर सतर्क रहें ।
इसके लिए कुछ ध्याज्य तथ्य निम्नांकित है :-
1. सर्वप्रथम हम संवेदनशीलता तथा सहयोग की भावना को अपनाना होगा ताकि हम अपने साथ एवं अपनी बहनों के साथ हो रहे अत्याचार का विरोध कर सकें ।
2. यदि मौके पर ही हम अपना नारी समूह बना के तो विरोध के साथ उन्हें हम दण्डित भी करते है ।
3. हमे अपने बच्चों को नैतिकता का विकास करना चाहिए चाहे वह बेटी हो या बेटा ।
4. जहाँ तक हो सके बच्चों को T.V. एवं फेसबुक से दूर ही रखे क्योंकि यही से उनकी मानसिकता बदलने लगती है, साथ ही उनके फेसबुक को भी चेक करते रहे ।
5. छोटे बच्चों को सही- गलत व्यवहार एवं स्पर्श का ज्ञान कराये एवं लडको को हमेशा दूसरों की मदद करने की आदत डालें ।
6. बच्चों को पढने-लिखने, खेलने, घर के छोटे मोटे कामों में लगायें उनके साथ माता पिता वक्त बिताये तथा दिन भर के क्रियाकलाप शिक्षक एवं दोस्तों के व्यवहार की जानकारी भी दोस्त बनकर बातों- बातों में ले ताकि यह भी पता चले कि उनकी संगत कैसी है ।
7. किशोर लड़कियाँ लडको से दोस्ती तो करें परन्तु एक दुरी बनी रहे व घर से बाहर उनके साथ ज्यादा वक्त न बिताये । बेटा तथा बेटी दोनों से कहें कि समय पर घर वापस आयें ।
8. हमे स्वयं को कमजोर नही महसूस करना है । यदि थोड़ी सी भी गलत हरकत कोई करता है चाहे वह घर का हो या बाहर का दोस्तों हो या रिश्तेदार तुरंत कड़े शब्दों में फटकारे तथा आवश्यकता पड़ने पर माता-पिता को सूचित करें ।
9. जूडो-कराटे सीखना भी अच्छा उपाय है । साथ ही बहला-फुसला कर लडको को भ्रमित करें । स्प्रे भी अच्छा उपाय है।
10. यदि कक्षा में लड़के कमेन्ट करते है तो उसे नज़र अंदाज न करके अध्यापक या प्रधानाचार्य को सूचित करें क्योंकि आपको सभी से ही विरोध करना है
इस प्रकार हमें ” आज की नारी, हालात की मारी ।।” वाले कथन को झूठा साबित करना है आज से ——- हम सब साथ है ।”
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हाँ मैं लड़की हू

 

आरती सिंह
अध्यापिका, प्रेरणा गर्ल्स स्कूल

लड़की क्यों है , दुनिया के लिए अभिशाप ।

पैदा करके माँ ने जैसे किया कोई पाप ।

दिन -दिन मरती इक नई मौत ।

क्यों अपनी ही घर में बेटी है,इक खौफ ।

दिनिया में कहने को तो देविया बेशुमार है ।

पर लड़की हमेशा से सहती  अत्याचार है ।

बस अब बहुत हुआ लड़की है तो क्या सताओगे ?

याद रखना हम अगर जाग गये तो तुम पछ्ताओगें ।

हाँ मैं लड़की हू इसमे कोई शक नहीं ।

मुझे सताने का तुम्हे कोई हक़ नहीं ।

समाज में अगर हमें शान से रहना है ।

ज़ुल्म किसी का हमें नहीं सहना है ।

लडकियों को खुद आगे आना होगा ।

आगे बढ़कर अत्याचारों का सामना करना होगा ।

तुम सब अपने अधिकार को पहचानों ।

अबला नहीं सबला ही इस बात को मानों ।
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Joining Hands

 

Veena Anand
Executive Director,
Didi’s

“Sons of India will actually have to believe genuinely that women are their equals and treat them accordingly. Just talking and discussions will not suffice, Supporting women at all levels- at home, at the work place, in every walk of life.”
We the women of India have a greater responsibility of supporting each other in protecting the girl child at birth, educating girls, making them independent in life and joining hands to make them stronger.”
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लड़की मानो मिट्टी की गुड़िया

 

Monika,
Teacher, Prerna Girls School

मैं मर्द हूँ तुम औरत
मैं भूखा हूँ तुम भोजन
यह है हमारे समाज के पुरुषो की मानसिकता सच में विचाराधीन है हम स्त्रियों के लिये। महादेवी वर्मा की कविता मैं नीर भरी दुःख की बदली, जहाँ लड़की मानो मिट्टी की गुड़िया हो, हर मोड़ टूटने और बिखरने का डर।
हम बढ़े भी तो कैसे,इस डर की कोठरी मे रहकर, अगर पुरुषो की एक जुटता कही दिखाई देती है, तो वह है नारी के शोषण में जहाँ उम्र, धर्मं, जांति , रंग, किसी का भेद नहीं वाह रे वाह हमारा समाज ।
कहने को तो आज महिलाएं पुरुषों से कंधे से कन्धा मिलाकर चल रहीं है। लेकिन सही माइने में इसे कायम रखने के लिए उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत कीमत चुकानी पड़ती है । क्या भारत में औरतो को अपने अधिकार मिल रहे है।
1. लम्बा जीवन जीने की आज़ादी
2. अच्छी सेहत का हक़
3. बिना जुर्म के काम करने की आज़ादी
4. अपने फैसले लेने की आज़ादी
5. डर से छुटकारा पाने की आज़ादी
यह सभी हुक बे मतलब हो जाते है, जब पुरुष प्रधान देश में महिलाओं की आवाज का दमन कर दिया जाता है ।
भू मण्डलीय के कारण इस युग में जब कर लो दुनिया मुटठी में का उदधोश सुनाई देता है तो हम स्वयं को किसी शिखर पर खड़ा पते है पैर सच तो यही है की आधुनिक युग में यह एक काल बनकर हमारे सिर पैर मंडरा रहा है। इस काले बदल को हटाने के लिए धर्म के नाम पर रूडिवादी संस्कार हटाने पड़ेंगे । घर में दी जाने वाली लडको को आज़ादी हटानी पड़ेगी।
महिलाओ को शिक्षित और आत्म निर्भर बनाना पड़ेगा और साथ ही साथ कुछ भ्रष्ट मंत्रियों के हाथ से देश की डोर छीननी पड़ेगी।
विडंबना यही पर ख़त्म नहीं होती पुलिस की नज़रे उनके अशलील शब्दों से भरे हुए सवाल और मीडिया की मसालेदार बाते यह तो अभिमन्यु के उस च्क्रवियु में फंसे होने से भी , गहरा, षड्यंत्कारी चक्रवियु है और सबसे बड़ी दुःख की बात तो यह है की खुली आँखों में सबको दिखाई तो देता है पर कोई देखना नहीं चाहता । नारी को एक जुट होकर अब कहना नहीं पड़ेगा ‘ मंजिल मिल ही जाएगी, भटकते हे सही गुमराह तो वह है जो घर से निकले ही नहीं।
कोई लक्ष मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं ।
हारा वही है जो लड़ा नहीं।

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